हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में सुजानपुर होली मेले को अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा देने की घोषणा की है। यह मेला अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, और अब इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने से इसकी प्रतिष्ठा और बढ़ेगी।


इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने सुजानपुर क्षेत्र के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं:
सुजानपुर में जल शक्ति विभाग का एक नया मंडल स्थापित किया जाएगा।
स्थानीय अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी।
सैनिक रेस्ट हाउस में ईसीएचएस (Ex-Servicemen Contributory Health Scheme) की सुविधा प्रदान की जाएगी, जिससे पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को लाभ होगा।
सैनिक स्कूल के पास एक सिंथेटिक ट्रैक का निर्माण किया जाएगा, जो छात्रों के शारीरिक विकास और खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित करेगा।
इन पहलों से सुजानपुर क्षेत्र के समग्र विकास में सहायता मिलेगी और स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर में सुधार होगा।
सुजानपुर होली मेले के उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने इन योजनाओं की घोषणा की, जिससे स्थानीय जनता में उत्साह और उम्मीद की लहर है।
मुख्यमंत्री की इन घोषणाओं से सुजानपुर क्षेत्र में विकास की नई संभावनाएं उत्पन्न होंगी और स्थानीय संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा पालमपुर के मेले को अंतरराष्ट्रीय सत्र की पहचान मिलनी चाहिए?
यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि पालमपुर होली मेला की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से कितनी महत्वपूर्ण पहचान है। अगर यह मेला बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है, स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देता है, और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की क्षमता रखता है, तो इसे अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिलना चाहिए।
अगर पालमपुर के लोग और प्रशासन इस मेले को और बड़ा बनाना चाहते हैं, तो कुछ जरूरी पहल करनी होंगी, जैसे:
पर्यटन को बढ़ावा देना – राज्य सरकार और पर्यटन विभाग को इसे प्रमोट करना चाहिए।
संस्कृतिक कार्यक्रमों का विस्तार – इसमें विभिन्न देशों के सांस्कृतिक समूहों को आमंत्रित किया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय भागीदारी – विदेशों से कलाकारों, पर्यटकों और संगठनों को जोड़ना जरूरी होगा।
इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार – बेहतर सुविधाएं, ट्रांसपोर्ट और सुरक्षा उपाय जरूरी होंगे।
अगर इन बातों पर ध्यान दिया जाए, तो पालमपुर होली मेला को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा दिलाने की संभावना बन सकती है। क्या आपको लगता है कि इस मेले में इतनी क्षमता है?
एक साल में पालमपुर में 2-3 मेले हो सकते हैं, लेकिन यह कई कारकों पर निर्भर करेगा:
संस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व – यदि अलग-अलग त्योहारों या अवसरों से जुड़े मेले हों, तो साल में कई मेले आयोजित किए जा सकते हैं। जैसे, होली मेला, दीपावली मेला, या अन्य पारंपरिक मेले।
प्रशासन और बजट – स्थानीय प्रशासन और सरकार को यह तय करना होगा कि एक से अधिक मेलों का आयोजन संभव है या नहीं, क्योंकि इसके लिए बजट, सुरक्षा और बुनियादी सुविधाएं चाहिए होंगी।
पर्यटन और व्यापार – अगर पालमपुर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है, तो अधिक मेले आयोजित करने से पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है, जिससे स्थानीय व्यापारियों को भी फायदा होगा।
स्थान और व्यवस्था – यह भी देखा जाना चाहिए कि क्या शहर में इतने बड़े आयोजनों के लिए पर्याप्त जगह और सुविधाएं उपलब्ध हैं।
अगर सही प्लानिंग की जाए, तो पालमपुर में अलग-अलग थीम और मौकों के आधार पर साल में 2-3 बड़े मेले आयोजित किए जा सकते हैं। क्या आपके मन में किसी खास तरह के मेले का विचार है? तो अपनी राय जरुर दें।

Author: Nav Bharat Himachal Times



