हिमाचल प्रदेश में सडक़ दुर्घटना पीडि़तों को अस्पताल में डेढ़ लाख रूपए तक का मुफ्त कैशलैस इलाज प्रदान किया जाएगा
। भारत सरकार ने यह नई व्यवस्था की है जिसे हिमाचल प्रदेश भी अपना रहा है। यह खुलासा परिवहन विभाग के निदेशक डी.सी.नेगी ने सडक़ सुरक्षा जागरूकता को लेकर लोक प्रशासन संस्थान में आयोजित एक कार्यशाला में किया। परिवहन महकमे ने इस साल सडक़ दुर्घटनाओं में 10 फीसदी की कमी करने का लक्ष्य रखा है। ऐसा तभी संभव होगा जब आम जनता परिवहन विभाग का साथ देगी। इसके लिए जरूरी होगा कि सडक़ सुरक्षा का पाठ पढ़ें और उसपर सही तरह से अमल करें। प्रदेश के लोगों में धीरे-धीरे सडक़ हादसों को लेकर जागरूकता आ रही है जिसका उदाहरण इस बार के आंकड़ों से साफ है। प्रदेश में पिछले साल या मौजूदा वित्त वर्ष की बात करें तो सडक़ दुर्घटनाओं में 6.48 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
नेगी ने कहा कि अब सडक़ दुर्घटनाओं से पीडि़त व्यक्ति को 1.50 लाख तक का मुफ्त इलाज तत्काल प्रभाव से दिया जाएगा। इसी तरह किसी अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर लगने से कोई व्यक्ति मृ़त्यू के मुख में जाता है तो उसके आश्रितों को दो लाख तक की सहायता सरकार देगी। घायल के इलाज के लिए 50 हजार रूपए दिए जाएंगे। उन्होंने सरकारी विभागों से गुड स्मार्टियन एक्ट के प्रचार प्रसार को कहा। उन्होंने कहा कि सडक़ दुर्घटनाओं के पीडि़तों की मदद के लिए स्वयं आगे आएं। क्योंकि उक्त नियमों के तहत अब ऐसे नेक व्यक्ति को कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया है। ऐसे लोग जो दूसरों की सहायता करते हैं उनको सरकार द्वारा पुरस्कृत भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब स्कूली पाठयक्रम में भी कक्षा 6 से 12वीं कक्षा तक सडक़ सुरक्षा विषय को सम्मिलित किया गया है जिससे बच्चों में सडक़ सुरक्षा के प्रति जागरूकता आए।