कोरोना वायरस के चलते जिन लोगों के कामकाज डूब गए व्यापार दुकान बंद हो गई
और वह लोग आज दिन तक बैंक का कर्ज न चुका सके ऐसे लोगो की क्या गलती थी जो सरकार की गलत नीतियों का हरजाना आज दिन तक भर रहे हैं जानते हैं क्या है मामला कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते वर्ष 2020/25 मार्च से अनिश्चित काल के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया था. इस चलते अर्थव्यवस्था का ज्यादातर हिस्सा बुरी तरह ठप हो गया था.
ऐसे में लोन लेने वालों को राहत देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने एलान किया था कि कर्ज देने वाली संस्थाएं एक मार्च, 2020 से 31 अगस्त 2020 के बीच दो करोड़ तक का लोन लेने वालों को किस्त चुकाने से छूट दें. आरबीआई ने बाद में सभी बैंकों को लोन को बिना एनपीए खाते में डाले एक बार लोन रीस्ट्रक्चर करने की इजाजत दे दी थी.
बाद में मोराटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज यानी चक्रवृद्धि ब्याज चुकाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. सरकार ने वहॉं कहा कि कर्ज़दारों को चक्रवृद्धि की बजाय साधारण ब्याज देना होगा. इससे सरकारी खजाने पर लगभग सात हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ने का अनुमान है.
बाद में सरकार ने साफ किया कि अगर किसी कर्ज़दार ने मोराटोरियम मिलने के बावज़ूद किस्त का भुगतान समय पर कर दिया तो उन्हें बैंक से कैशबैक दिया जाएगा. इसके तहत ऐसे कर्ज़दारों को छह महीने के साधारण और चक्रवृद्धि ब्याज में अंतर का लाभ दिया जाएगा लेकिन सरकार ने आज दिन तक यह जानने की कोशिश नहीं कि जिन व्यापारियों के काम ठप पड़ गए और व्यापार बंद हो गए और जो लोग कर्ज में पूरी तरह डूब गए यहां तक की बहुत से लोग जो कर्ज में डूब चुके थे उन्होंने आत्महत्या भी कर ली। उन लोगों को कैसे राहत दी जाए सरकार का इस तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। यदि आप, आपका कोई दोस्त,रिश्तेदार,पड़ोसी जान पहचान वाला कर्ज से परेशान है तो आप कर्ज मुक्त भारत अभियान से जुड़े। कर्जा मुक्ति अभियान शाहनवाज चौधरी भारतीय के द्वारा पूरे भारत में चलाया जा रहा जिससे कर्ज में डूबे लोगों को राहत मिल सके श्री शाहनवाज चौधरी भारतीय और उनकी पूरी टीम पूरे भारत में कर्ज में डूबे लोगों की मदद कर रही है।

Author: Navbharat Himachal Times
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